Friday, December 22, 2017

शिक्षक की कलम ✒स

_22.12.2017 [Kriyashil Bihar] *Siddharth Shankar*_
🔴💐🔴💐🔴💐🔴💐🔴
_*एक लाचार और बेबस शिक्षक की कलम ✒से : ~*_

_स्कूल में सब खुश थे,क्योंकि सारे बच्चे पास थे._

_जो आये, वो पास जो नहीं आये, वो भी पास._

_जिसने परीक्षा दी, वो पास जिन्होंने नहीं दी, वो भी पास._

_सब खुश....._

_बस दुखी थे तो वे अध्यापक जो इनकी इस खोखली नींव से भविष्य में होने वाले पतन को देख रहा था._

_मगर क्या करते उस सरकारी तुगलकी फरमान के आगे हम बेबस थे._
_अब बाहर थाप लगाने, अंदर हाथ रखने तक का अधिकार छीन लिया गया है हर कुम्हार से...!!_

_फिर कहते हैं, हमे बर्तन साफ, सुथरे, मजबूत और अच्छे चाहिये...ये कतई संभव नहीं !!_
                  .. _*क्रियाशील बिहार*_
                          
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