_22.12.2017 [Kriyashil Bihar] *Siddharth Shankar*_
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_*एक लाचार और बेबस शिक्षक की कलम ✒से : ~*_
_स्कूल में सब खुश थे,क्योंकि सारे बच्चे पास थे._
_जो आये, वो पास जो नहीं आये, वो भी पास._
_जिसने परीक्षा दी, वो पास जिन्होंने नहीं दी, वो भी पास._
_सब खुश....._
_बस दुखी थे तो वे अध्यापक जो इनकी इस खोखली नींव से भविष्य में होने वाले पतन को देख रहा था._
_मगर क्या करते उस सरकारी तुगलकी फरमान के आगे हम बेबस थे._
_अब बाहर थाप लगाने, अंदर हाथ रखने तक का अधिकार छीन लिया गया है हर कुम्हार से...!!_
_फिर कहते हैं, हमे बर्तन साफ, सुथरे, मजबूत और अच्छे चाहिये...ये कतई संभव नहीं !!_
.. _*क्रियाशील बिहार*_
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