पटना : राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के करीब साढ़े तीन हजार पदों के आवेदकों को बड़ी राहत मिली है. पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के उस आदेश को मंगलवार को रद्द कर दिया जिसमें शिक्षा विभाग ने बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा ली जा रही इंटरव्यू पर रोक लगा दी थी. जस्टिस एके त्रिपाठी की एकल पीठ ने अर्चना भारती नाम की एक समाज शास्त्र की आवेदिका की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय और बिहार लोक सेवा आयोग के बीच राज्य सरकार की कहीं कोई भूमिका नहीं है. सरकार विवि की रिक्तियों को भरने के लिए आयोग द्वारा लिये जा रहे साक्षात्कार पर रोक नहीं लगा सकती.
शिक्षा विभाग ने लगायी थी बहाली प्रक्रिया पर रोक
कोर्ट ने साक्षात्कार लिये जाने और रिजल्ट के प्रकाशन पर लगी रोक हटाने का आदेश दिया. कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य के विभिन्न विवि में असिस्टेंट प्रोफेसर के 3364 पदों के लिए पूर्व में जारी निर्धारित प्रक्रिया के तहत साक्षात्कार पुन: लिया जा सकेगा. शिक्षा विभाग ने पिछले महीने 14 अगस्त को बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा ली जा रही साक्षात्कार पर रोक लगा दी थी. सरकार की ओर से कहा गया था कि असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए जिन विषयों के इंटरव्यू हो चुके हैं, वैसे अभ्यर्थियों के रिजल्ट जारी होंगे और वे कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में योगदान भी करेंगे. वहीं, जिन विषयों का इंटरव्यू नहीं हो सका है उनके साक्षात्कार की प्रक्रिया नहीं होगी.
बीपीएससी को शिक्षा विभाग ने भेजा था पत्र
बिहार लोक सेवा आयोग को भेजे गये पत्र में शिक्षा विभाग ने कहा कि असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली प्रक्रिया यूजीसी के 2009 गाइडलाइन के अनुसार शुरू की गयी थी. इसमें नेट पास या फिर 2009 के गाइडलाइन के अनुसार पीएचडी होना आवश्यक था, लेकिन यूजीसी ने मई 2016 में 2009 से पहले वाले पीएचडी डिग्री धारियों की बहाली में नेट की बाध्यता को हटा दी, जिसके बाद से ऐसे डिग्रीधारियों को नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल करने की लगातार मांग उठने लगी. इसके बाद शिक्षा विभाग समेत सरकार ऊपरी स्तर पर कई बैठकें हुई और नियुक्ति प्रक्रिया में रोक लगाने का निर्णय लिया गया.
अंगरेजी का आया रिजल्ट, मैथिली में हो चुका योगदान
असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली में मैथिली विषय का रिजल्ट आने के बाद शिक्षकों ने कॉलेजों में योगदान कर लिया है. वहीं, अंगरेजी विषय का भी रिजल्ट आ चुका है. इसके अलावा छह विषयों का इंटरव्यू हो चुका है. दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान के परिणाम अभी नहीं आये हैं. बीपीएससी ने इनका रिजल्ट तैयार कर रखा है. अब इनका रिजल्ट जारी होगा और वे योगदान कर सकेंगे. वहीं, 33 अन्य विषयों जिनके अभ्यर्थियों का इंटरव्यू नहीं हो सका है उस पर रोक लगेगी.
-सितंबर 2014 में 41 विषयों के 3364 पदों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली का विज्ञापन निकला.
-यूजीसी के 2009 के गाइडलाइन के अनुसार पीएचडी करने वाले या नेट पास अभ्यर्थियों को इसके लिए योग्य माना गया.
-हाइकोर्ट के निर्देश के बाद 2009 गाइडलाइन से पहले पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों से भी आवेदन लिये गये.
-सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार बहाली का फैसला दिया.
-इसके बाद 2009 गाइडलाइन के पहले पीएचडी करने वाले करीब 35 हजार अभ्यर्थियों के आवेदनों को अलग कर मैथिली विषय से इंटरव्यू की प्रक्रिया शुरू की गयी.
-डोमिसाइल मामला उठने के बाद नियुक्ति पर लगी रोक.
कैसे लगी थी रोक
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने पिछले दिनों डोमिसाइल का मुद्दा उठाया था. इसका समर्थन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत विपक्ष ने भी किया था और सीएम ने इस पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की बात भी कही थी. डोमिसाइल लागू नहीं होने से असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया में बिहार के लोगों का कम प्रतिनिधत्वि मिलने की बात भी उठी. विधानमंडल के मॉनसून सत्र में इस पर हंगामा भी हुआ. इसके बाद सरकार ने इंटरव्यू की प्रक्रिया में 2009 से पहले पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को मौका देने का सरकार ने निर्णय लिया.
सरकार की यह है तैयारी
-मार्च 2016 तक की रिक्तियों पर एक साथ बहाल होंगे असिस्टेंट प्रोफेसर.
-विश्वविद्यालयों को एक महीने में रोस्टर क्लियर कर रिक्ति देने का निर्देश.
-एक साथ होनी थी नौ हजार से ज्यादा पदों पर नियुक्ति.
-3364 पदों की बहाली में जिनका भी हो चुका इंटरव्यू उनका आयेगा रिजल्ट, होंगे बहाल.
-मैथिली के 53 में से 49 पदों पर ही रिजल्ट आया था. वहीं, अंगरेजी के 239 में से करीब 169 का ही रिजल्ट आया है. अंगरेजी, गणित, भौतिकी, रसायन शास्त्र, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान व अर्थशास्त्र विषय का इंटरव्यू हो चुका है. इसके अंतिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों की बहाली हो सकेगी
Ref: http://m.prabhatkhabar.com/news/patna/bihar-patna-high-court-delivered-a-blow-to-the-government-and-the-department-of-education/856762.html
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